तब पतरस ने पास आकर, उससे कहा, हे प्रभु, यदि मेरा भाई अपराध करता रहे, तो मैं कितनी बार उसे क्षमा करूँ ?, क्या सात बार तक ?
यीशु ने उससे कहा, मैं तुझसे यह नहीं कहता कि सात बार, वरन सात बार के सत्तर गुने तक।
- बाइबिल, मत्ती, 21-23
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3 comments:
nice
यदि दोनों पक्ष इसे सैद्धांतिक रूप से भी स्वीकार कर सकें,तो व्यवहार रूप देने की नौबत ही न आए।
यह तो रहस्य है कि पहले मुर्गी आई या अण्डा!
कोई नही जानता कि पहले आकाश बना या ज़मीन!
यह तो परमेश्वर ही जानता है!
मगर इतना तो तय है कि जब तक नेक इन्सान रहेंगे तब तक क्षमा जीवित रहेगी!
क्योंकि क्षमा का पाठ भी खुदा के नेक बन्दे ही पढ़ा सकते हैं!
चाहे बाइबिल हो या वेद हो या कुरआन शरीफ, सभी इन्सान को नेक राह दिखाते हैं!
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